Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 140) धनानां व्ययेनाग्रजो यस्य धन्यो यशोरूपजी यस्य पुत्रं त्रयं सत् // 43 // इन्द्रवज्रा-छन्दःकस्तूरचन्द्रो यशराज-चिम्नी-- रामस्तथा पौत्रवरौ च भक्तौ / यः खूबचन्द्रादथ हर्षचन्द्र, कस्तुरचन्द्राचू शिरेमल्लनामा // 44 // श्रीगोडी-पार्श्वनाथ के सौधशिखरी मन्दिर में पाषाण और सर्वधातु की छोटी बडी सब मिलाकर 221 जिन प्रतिमाएँ बिराजमान हैं। इसके कोट के लगते ही पीछे के भाग में एक बगीचा और उसमें पक्का बंधा हुआ एक कुआ (अरठ) है / गोडी-पार्श्वनाथ का प्रतिवर्ष फाल्गुन वदि 5 का मेला भराता है, जिसमें कि अन्दाजन 8000 हजार यात्री तक एकत्रित होते हैं। उसकी नोकारसी ( प्रीतिभोजन ) की सारी सामग्री बगीचे में ही तैयार होती है और नोकारशी करनेवाले को 101) रुपया नकरा गोडीजी की दुकान में जमा कराना पडता है। यहाँ यही जिनालय दर्शनीय और तीर्थस्वरूप है / यह महाराज श्री राजेन्द्रसूरिजी के उपदेश से नया बनाया गया है / मारवाड में नये मन्दिरों में इसकी समान रखनेवाला कोई मन्दिर नहीं है / तीसरा मन्दिर श्री आदिनाथका है, जो बाजार के मध्य में बहुत ऊंची कुरसी पर शिखरबद्ध बना हुआ है / इसमें आदि