Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ वर्तमान पाटण की स्थापना हुई है / अणहिलवाड़ा में अब भी अनेक पुरातन चिन्ह मौजूद हैं जो उसकी प्राचीन स्थिति को दिखला रहे हैं / यहाँ वणकर लोग भी जैन हैं और उनका बनवाया हुआ एक जिनमन्दिर भी है, जिसकी सार सम्भाल और पूजा आदि का खर्च वणकर लोग ही करते हैं / 82 कल्याणा यहाँ श्वेताम्बर जैनों के 15 घर, एक उपासरा और एक जिनमन्दिर है, जिसमें भगवान् श्रीआदिनाथस्वामी की प्राचीन भव्य-मूत्तिं बिराजमान है / इसके अलावा गांव के बाहर एक मठ भी है जो साधु साध्वियों के उतरने लायक है / इस गाँव के जैनों को साधु उपदेश की बहुत ही जरूरत है / 83 प्राचीन तीर्थ मेत्राणा____ यह एक छोटा गाँव है, परन्तु तीर्थ के वजह से दर्शन यात्रा करने लायक है / एक विशाल धर्मशाला के बीच में सौधशिखरी एक बड़ा सुन्दर जिनमन्दिर बना हुआ है / उस में अति चमत्कारिणी और प्रभावशालिनी भगवान् श्रीऋषभदेवस्वामी की सवा फुट बड़ी सफेद वर्ण की मूर्ति बिराजमान है। इसी धर्मशाला में मन्दिर के दाहिने बगल पर मेत्राणातीर्थ की पेढी ( दूकान ) है / यात्रियों के लिये बरतन बिछोना आदि सामान पेढ़ी से नकरे पर मिलता है / इस तीर्थ की देख-रेख सिद्धपुर-संघ के हस्तक में है / यह तीर्थ पाटण-स्टेशन से 7 कोश और सिद्धपुर-स्टेशन से 5 कोश के फासले पर है / यहाँ श्वेताम्बर जैनों के साधारण स्थितिवाले चार घर हैं।