Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 123) इन लेखों से इसके तीर्थनायक श्रीजीगउली-पार्श्वनाथ मालूम पडते हैं / इस समय इस प्रभावशालिनी प्रतिमा का यहाँ पता नहीं हैं / यह मुख्य मंदिर कब किसने बनाया ? यह खोज करने पर निर्भर है / यह जिनमन्दिर कोरणी ( नकशी ) की सजावट में श्राबुदेलवाडे के मन्दिरों से मिलता जुलता है। यह स्थान तीर्थ तुल्य होने से पूजनीय और दर्शनीय है। 105 सन्दरुट __ इस छोटे गाँव में श्वेताम्बर जैनों के 15 घर, और एक प्राचीन जिनमन्दिर हैं, मंदिर में भगवान् श्रीकुन्थुनाथ स्वामी की भव्य मूर्ति बिराजमान है / यहाँ के जैन साधु-धर्म से और गृहस्थ धर्म से बिलकुल अनभिज्ञ हैं / यहाँ जिनमन्दिर की पूजा और सफाई का कुछ भी प्रबन्ध नहीं और न यहाँ के जैन कभी दर्शन करते हैं / मन्दिर का सारा भार पूजारी के ही हस्तक में है इससे कभी कभी पूजा भी नहीं होती। 106 सिरोही-- ____ यह शहर सिरणवा-नामक पर्वत श्रेणि के नीचे बसा हुआ है, जो राजपूताने के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में 24 अंश 20 कला, तथा 25 अंश 17 कला उत्तर अक्षांश, और 72 अंश - 16 कला, तथा 73 अंश 10 कला पूर्वरेखांश के बीच है / इसका क्षेत्रफल 1664 मील है। राजपूताना मालवा रेल्वे के पिंडवाड़ा स्टेशन से यह 16 मील दूर है / इसको महाराव सैंसमलने विक्रम सं० 1482 में बसाया था / यहाँ पोष्ट ऑफिस,