Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 125) मूर्ति बिराजमान है। इसमें सफाई और पूजन आदि का इन्तिजाम बराबर नहीं है और न यहाँ के जैन मन्दिर के कभी दर्शन करते हैं। 108 वीरवाड़ा सिंरणवा पहाड़ी के नीचे यह छोटा गाँव है, जिसमें श्वेताम्बर जैनों के 50 घर, एक उपासरा, एक बड़ी धर्मशाला और दो जिनमन्दिर हैं / गाँव वाला मन्दिर 52 जिनालय और बाहर का मन्दिर सामान्य है / इन दोनों मन्दिरों में मूलनायक भगवान् श्रीमहावीरस्वामी की भव्य और प्राचीन मूर्तियाँ बिराजमान हैं। 106 वामनवाड़जी यह अर्बुदगिरि की पंचतीर्थी में से एक है, जो पूजनीय और अति पवित्र तीर्थ माना जाता है और यहाँ प्रतिवर्ष हजारों यात्री दर्शन करने के लिये आते हैं। सालमें एक वार फाल्गुन सुदि 7 से 14 तक मेला भराता है, जो सिरोही रिसायत के सभी मेलों में मुख्य है / इस मेले में 10,000 आदमी तक जमा होते हैं और बहुतसा माल दूर दूर से बिकने को आता है / परन्तु रेल्वे के जारी होने से अब उसमें प्रतिदिन न्यूनता होती जाती है। यहाँ मजबूत और विशाल कोट के घेरे में दो धर्मशाला, मेला के योग्य दूकानें, बंगले, कारखाना और पुलिस तथा नौकरों के रहने के मकान बने हुए हैं / पहाड़ के नीचे कोट के भीतर ही यहाँ के तीर्थपति भगवान् श्रीमहावीरस्वामी का प्रसिद्ध, विशाल.