Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (126 ) और प्रभावशाली सौधशिखरी मन्दिर है, जो 52 जिनालय और प्राचीन है / इसकी सभी देवरियों में प्राचीन-अर्वाचीन प्रतिमाएँ स्थापित हैं / परन्तु मूलनायक श्रीमहावीर भगवान् की प्रतिमा सब से अधिक प्राचीन है। इसके बामभाग की पहाड़ी के शिखर पर एक देवरी है-जिसमें महावीरप्रभु की चरणपादुका स्थापित हैं / यह तीर्थ पिंडवाडा स्टेशन से 4 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित है / यहाँ की आबहवा और जल शुद्ध होने से कुछ दिन यात्रियों को * ठहर कर यहाँ के तीर्थपति की सेवा करने योग्य है। 110 नांदिया यह पिंडवाडा स्टेशन से 5 मील पश्चिम और बामनवाडजी से 6 मील दूर एक छोटा गाँव है, जो श्राबू की पंचतीर्थी में से एक माना जाता है / यह चारों और उंची पहाडियों से घिरा हुआ है / इसमें श्वेताम्बर जैनों के 40 घर, दो उपासरे, एक धर्मशाला और एक गृहमन्दिर है-जिसमें श्रीमहावीरस्वामी की प्रतिमा स्थापित है / यहाँ से उत्तर पहाडी की ढालू जमीन पर एक पुराना और 52 जिनालय शिखरबद्ध सुन्दर मन्दिर है। जिसमें मूलनायक भगवान् श्री महावीरप्रभु की अति प्रभावशालिनी प्रतिमा बिराजमान है / यह तीर्थ इसी मन्दिर के कारण प्रसिद्ध और पूजनीय माना जाता है, परन्तु यहाँ पूजन और सफाई का प्रबन्ध बराबर नहीं है / इस मन्दिर के बाहर की दीवार में लगे हुए एक लेख में, विक्रम सं० 1130 में नन्दीश्वरचैत्य के आगे बावडी बनाये जाने का लिखा है / नन्दगिरि