Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (109) बोहरा राजमलने स्थापित की है। इसके दोनों तरफ सवा सवा हाथ बडी दो मूर्तियाँ बिराजमान हैं / मन्दिर के गभारे में चार कायोत्सर्ग ध्यान की मूर्तियाँ हैं। दीवार के दाहिने भाग में एकही पट का समवसरण है जिसमें 164 मूर्तियाँ हैं / दाहिने भाग में दर्वाजे पर एक ही पट पर 16 मूर्तियाँ है जो सं० 1345 में श्रीपरमानन्दसूरिजी के हाथ से प्रतिष्ठित हुई हैं। रंग-मंडप में एक और नन्दीश्वर का पट और दूसरी ओर देवी की भूर्ति है / दाहिने भाग की देवरी में श्रीआदिनाथस्वामी की ढाई हाथ बडी और वामभाग में 5 // हाथ बडी श्रीपार्श्वनाथ भगवान् की प्रतिमा बिराजमान है जो सं० 1675 की प्रतिष्ठित हैं / यह मन्दिर चोवीस जिनालय है और इसका दर्वाजा तिमंजिला है / ___ दूसरा मन्दिर महावीरप्रभु का है, इसके चोतरफ समवसरमा के आकार के चोवीस देवालय हैं जो प्रतिमा-शून्य हैं। इस में मूलनायक भगवान् श्रीमहावीरस्वामी की ढाई हाथ बड़ी मूर्ति स्थापित है जो सं० 1675 की प्रतिष्ठित है / गभारे के बाहर दोनों बगल में दो कायोत्सर्गस्थ और दो छोटी मूर्तियाँ भी हैं। तीसरा मन्दिर शान्तिनाथ का है, इसमें सोलह देवालय हैं जो प्रतिमा रहित है / यह देवालय सं० 1138-46 के बने हुए हैं, ऐसा इसकी परकम्मा के लेखों से विदित होता है। इसमें मूलनायक श्रीशान्तिनाथ भगवान् की सफेद वर्ण की सवा हाथ बड़ी मूर्ति बिराजमान हैं। . चौथा मन्दिर गोडी-पार्श्वनाथ का है और इसमें सफेद वर्ण