Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (115) उद्धार चण्डसिंह के पुत्र पेथड़संघपतिने कराया है / इन दोनों मन्दिरों के विषय में युरोपियन विद्वानों का कहना है कि "इन मन्दिरों में, जो संगमर्मर के बने हुए हैं, अत्यन्त परिश्रम सहन करनेवाली हिन्दुओं की टांकी से फीते जैसी बारीकी के साथ ऐसी मनोहर प्राकृतियाँ बनाई गई हैं कि उनकी नकल कागज पर बनाने को कितने ही समय तथा परिश्रम से भी मैं शक्तिवान् नहीं हो सका।" फर्गसन-साहेब. " इनके गुम्बज का चित्र तैयार करने में लेखिनी थक जाती है और अत्यन्त परिश्रम करनेवाले चित्रकार की कलम को भी महान् श्रम पडेगा" कर्नल-टोड. " इन मन्दिरों की खुदाई के काम में स्वाभाविक निर्जीव पदार्थों के चित्र बनाये हैं, इतना ही नहीं किन्तु सांसारिक जीवन के दृश्य, व्यापार और नौका शास्त्र सम्बन्धी विषय, एवं रणखेत के युद्धों के चित्र भी खुदे हुए हैं। इनकी छतों में जैनधर्म की अनेक कथाओं के चित्र भी खुदे हुए हैं।" फार्बस-साहेब. वस्तुपाल के मन्दिर से थोड़ी दूर ही बगल में भीमाशाह का जिसको लोग भेसाशाह कहते हैं, बनवाया हुआ मन्दिर है। इसमें 108 मन तोल की सर्वधात की परिकर सहित मय