Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (96) हैं। सभी भंडारों में पुस्तकों की संख्या 14000 के लगभग है, उनमें 650 ताडपत्र पर लिखी हुई हैं, बाकी काराज पर / पहिले ये भंडार यति-पूज्यों के हाथ में थे, परन्तु कुछ वर्षों से इन भंडारों का कार्यभार गृहस्थों के ऊपर है / सरकार सयाजीराव मायकवाड की आज्ञा से चिमनलाल डाह्याभाई दलाल एम. ए. ने. यहाँ के भंडारों का निरीक्षण करके महत्व के जितने ग्रन्थ थे, उनकी वि. स्तृत सूची तैयार की है। ___यहाँ के भंडारों में सब से पहिला नम्बर लघुपोशालिकगच्छ के भंडार का है, जो संघवी के पाडे में है। इसमें सब पुस्तकें ताडपत्र पर ही लिखी हुई हैं / पुस्तक ( ग्रन्थ) संख्या 413 है / ये सब पुस्तकें लकडी के तीन मञ्जूषाओं में भरी हुई हैं और ये बहुत ही पुरानी और बडे महत्व की हैं। दूसरा नम्बर वाडीपार्श्वनाथ के मन्दिर के भंडार का है जो झवेरीवाडे में है / इसमें 750 पुस्तके हैं और ये सब कागज पर लिखी हुई हैं। इस भंडार की स्थापना विक्रम की पन्द्रवीं शताब्दी में, खरतरगच्छ के प्राचार्य श्रीजिनभद्रसूरिजी के आधिपत्य में हुई जान पडती है। क्यों कि इसकी अधिकांश पुस्तकें संवत् 1480-60 के बीच में लिखी गई हैं | इन पुस्तकों के देखने से जान पड़ता है कि ये सभी ताड़पत्र पर लिखी गई पुस्तकों की प्रतिकोपी (नकल) है। इनके पत्रों का जो संख्या-क्रम है वह ताड़पत्रों के सदृश ही है। इस में साहित्य के बड़े अच्छे अच्छे ग्रन्थ हैं, अन्य भंडारों में ऐसे ग्रन्थ नहीं हैं / तीसबा नम्बर, फोफलवाड़े की श्रागली-सेरी को है। इसमें 3.035. पुस्तकें कागज पर और 22 ताड़पत्र पर