Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
View full book text
________________ (62) कच्छी रणसिंह की धर्मशाला के पीछे तालाव के नाम से प्रसिद्ध स्थान पर गढ के मध्य में श्रीऋषभदेवस्वामी की तीन जोड चरण-पादुका, दरबारी गुजराती निशाल के पीछे बाबा के अखाड़े के पास चून्य पत्थर के चबूतरे के ऊपर रायण के वृक्ष के नीचे श्री आदिनाथस्वामी के दो जोड़ चरण-पादुका जो जूनी तलहटी के नाम से पहिचाने जाते हैं, और श्मशान से थोड़ी दूर नदी के घांघरका-घाट पर पीलुवृक्ष के नीचे श्रीगोड़ी-पार्श्वनाथ स्वामी की चरण-पादुका यहाँ दर्शनीय हैं। गोडीजी की चरणपादुका पर आसोज और चैत्र की झोली में दशमी के दिन ओली करनेवाले श्रावक श्राविका धजा चढाते हैं। पालीताणा कसबे में भीतर और बाहर छोटी बड़ी 32 जैनधर्मशालाएँ हैं। जिनके नाम इस प्रकार हैं१-सेठ हेमाभाई की, कोठरियाँ २-सेठ की धर्मशाला कोठरियाँ ३-मोतीसाह सेठ की, कोठरियाँ ४-उजम बाई की, कोठरियाँ ५-जोरावरमलजी की, कोठरियाँ ६-लन्लुभाई की, कोठरियाँ / ७-हठीभाई की, कोठरियाँ ८-मोतीकड़िया की, कोठस्यिाँ १-राधनपुरी-मसालिया की, कोठरियाँ १०-चोहरा अमरचंद हठीसंग की, कोठरियाँ ११-सात मोरड़ा की, कोउरियाँ .... . .... .... .... **** ม ม ะ ะ ะ