Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (12) यह तीर्थ बडीयार प्रदेशमें स्थित शंखेश्वर गाँव में है / यहाँ श्वेताम्बर जैनों के साधारण स्थितिवाले 6 घर और दो बडी धर्मशालाएँ हैं / गाँव वाली बडी धर्मशाला के बीच में शंखेश्वर-पार्श्वनाथ का दर्शनीय मन्दिर है और इसी में शेठ जीवनदास गोड़ीदास नामक शंखेश्वर-पार्श्वनाथ की पेढ़ी ( दूकान ) है जिसमें यात्रियों को बरतन और बिछोना आदि सामान नकरा से मिलता हैं / इसी के सामने धर्मशाला के बाहार एक रसोडा खुला हुआ है जिसमें यात्रियों के लिये भोजन पाने का अच्छा प्रबन्ध है / दूसरी धर्मशाला गाँव के बाहर बनी हुई है, जो प्रायः मेला सिवाय काम में नहीं आती। 76 मुजपर यहाँ श्वेताम्बर जैनों के 30 घर, एक उपासरा, एक बड़ी धर्मशाला और दो जिनमन्दिर हैं / एक में श्री शान्तिनाथ और दूसरे में श्री गोडीपार्श्वनाथ भगवान् की भव्य और प्राचीन मूर्तियाँ स्थापित हैं / धर्मशाला के ऊपरी होल में एक जैनपाठशाला है जिसमें पंचप्रतिक्रमण और जीव विचार, नवतत्त्व आदि प्रकरण ग्रन्थ पढ़ाये जाते हैं। 77 हारिजरोड़ यहाँ श्वेताम्बर जैनों के व्यापार के लिये बाहर के आये हुए 15 घर, एक जिनगृह, एक छोटी दो मंजिली धर्म धर्मशाला और एक उपासरा है / मंदिर में श्री शांतिनाथ भगवान की मूर्ति स्थापित है। यहाँ रेल्वे स्टेशन, अस्पताल और पक्की सडक है / यहाँ के जन संकुचितवृत्तिवाले और द्वेषाकुल हैं।