Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (64) जो समुद्र के जल से 1980 फुट ऊंची है / मार्ग के चढ़ाव में बेडोल पत्थर की सीढ़ियाँ हैं, जो कहीं कहीं अच्छी भी हैं। पालीताणा से पहाड़ के मूल तक पक्की सड़क बनी हुई है और दोनों तरफ वृक्षों की पंक्तियाँ लगी हुई हैं / गिरिराज के मूल में भाथा-तलहटी, दो मकान और एक छोटा बगीचा है / यहीं से गिरिराज का चढ़ाव शुरू होता है, जो रामपोल तक चार मील का है। आगे जय-तलहटी, दर्शन-मंडप, गौतमस्वामी, शान्ति, नाथ, अजितनाथ और आदिनाथ के चरण पादुका के दर्शन किये बाद.. बाबुजी का मन्दिर आता है जो मुर्शिदाबादवाले रायबहादुर धनपतिसिंह लक्ष्मीपतिसिंहने अपनी माता महेताब कुंवर के .स्मरणार्थ बनाया है। इसमें भगवान् श्रीआदिनाथस्वामी की भव्य मूर्ति विराजमान है। ____ कुछ ऊंचे चढ़ने पर एक विश्राम आता है जिसे 'धोलींपरब का विसामा... कहते हैं / यहाँ पानी की एक पो लगी है। इसके समीप ही एक छोटी देवरी है जिस में भस्त चक्रवर्ति के चरण स्थापित हैं / श्रागे इच्छाकुंड और नेमनाथ के चरण के बाद, कुमारपालकुंड और कुमारपाल विश्राम स्थल है, जो चौलुक्यवंशीय परमार्फत् महाराज कुमारपाल के बनाये कहे जाते हैं और वे लीलीपरब का विसामा इस नाम से प्रसिद्ध है / जब पर्वत की चढाई लग भग आधी रह जाती है, तब हिंगलाजदेवी की देवरी श्रांती है। यहाँ से चढ़ाई बिलकुल खड़ी और टेडी होने के कारण कुछ कठिन है। आगे रास्ते में कलिकुंड-पार्श्वनाथ के स्वरण, चारसाश्वताजिन के चरण, जिनेन्द्रटोंक, द्राविड, वारि