Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ यह एक छोटासा गाँव है / इसमें श्वेताम्बर जैनों के 35 घर एक धर्मशाला, एक उपाश्रय और एक शिखर-बद्ध जिनमन्दिर है / जिसमें एक हाथ बडी भगवान श्रीचन्द्रप्रभस्वामी की संगमर्मर की प्राचीन और चमत्कारिणी मूर्ति स्थापित है। इस मन्दिर की प्रतिष्ठा सं० 1951 में महाराज श्री विजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी के कर-कमलों से हुई है। . ..... - यहाँ से दो मील के फासले पर पूर्वोत्तर ' भोपावर' नामक प्राचीन तीर्थ है / भोपावर गांव के पास वृक्षों की झाडी के समीप एक प्राचीन मन्दिर है, जिसमें दश फुट बडी भगवान् श्रीशांतिनाथस्वामी की कायोत्सर्ग ध्यान ( खडे आकार ) की अति प्राचीन और प्रभावशालिनी श्यामरंग की मूर्ति बिराजमान है / यह तीर्थ महु स्टेशन से 40 मील की दूरी पर है और यहाँ पोषवदि 10 का हरसाल मेला भी भराता है जिसमें 400 यात्री एकत्रित होते हैं। 5 राजगढ___गवालियर रियासत के अमिमरा जिले में यह एक छोटासा कसबा है / यहाँ श्वेताम्बर जैनों में त्रिस्तुतिक-संप्रदाय के 150 चतुर्थस्तुतिक-संप्रदाय के 50, और स्थानक-वासी-संप्रदाय के 25, घर हैं / यहाँ तीन मन्दिर हैं, जिन में सब से बडा मन्दिर महावीर भगवान् का है. जो प्राचीन और बावन मिनालय है / इस में अन्तिम तीर्थंकर श्रीमहावीरस्वामी की अति सुन्दर, चमत्कारीणी और सवा दो हाथ बडी मूर्ति बिराजमान है।