Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (68) पत्र का है जो नियम पूर्वक जैन समाज की सेवा बजा रहा है और जो चोवीस वर्ष से बिना रुकावट के जारी है / यहाँ रेल्वे स्टेशन दो हैं और कांबे की खाड़ी में बम्बई से माल के भरे स्टीमर आते जाते रहते हैं। 35 अखवाड़ा यहाँ श्वेताम्बरजैनों के 3 घर और एक छोटी धर्मशाला है / जो सड़क के किनारे पर बनी हुई है। यह गाँव बिलकुल छोटा है, परंतु यहाँ के जैन भावुक और धर्मजिज्ञासु हैं। 36 गोघाबन्दर- कांबे की खाडी के किनारे पर यह एक छोटा कसबा है जो भावनगर से 8 कोश के फासले पर है। भावनगर से गोपा तक पक्की सड़क जाती है / यहाँ श्वेताम्बरजैनों के 75 घर, दो बड़ी धर्मशाला और दो उपाश्रय हैं / यहाँ के जैन तीर्थमुडिये और देवद्रव्य भक्षक हैं / इतने घर होने पर भी यहाँ साधु साध्वियों को पूरा आहार-पानी नहीं मिल सकता / गाँव में अति प्राचीन तीन मन्दिर हैं जिनमें सब से बड़े जिन-मन्दिर में नक्खंडा-पार्श्वनाथ भगवान् की श्यामरंग की दो हाथ बड़ी सुन्दर मूर्ति विराजमान है। इसकी प्रतिष्ठाञ्जनशलाका सं. 1168 में श्रीमहेन्द्रसूरिजी के उपदेश से श्रीमाली माणावटी हारने कराई है। यह जूना खेड़ा है इसमें जमीन खोदते समय दश प्रतिमाएँ प्रगट हुई थीं जो बड़े मन्दिर में स्थापित हैं।