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अपमान को प्रकाशित नहीं करना चाहिए । फिर भी आपकी प्रार्थना विफल न हो इसलिए मैं कहता हूँ, आप एकाग्रचित्त होकर सुनें, नित्य प्रमुदित स्त्री-पुरुषों से रमणीय अनेक गाँवों के समूह से युक्त, बहुत दिनों में वर्णन करने लायक अंग नाम का एक देश हैं, उस अंग देश में अमरावती के समान ऋद्धिशाली स्वचक्र परचक्र के उपद्रवों से रहित करवेरा से रहित नगरों में श्रेष्ठ सिद्धार्थपुर नाम का एक नगर है, उस नगर में मदांध शत्रु रूप हाथी के कपोल स्थल का भेदन करने में कुशल शंख के समान उन्नत ग्रीवावाला सुग्रीव नाम के एक राजा हैं। समस्त अंतःपुर में प्रधान सुंदर शारद चंद्र बिंब समान मुखवाली अनुपम बुद्धिशालिनी कमला नाम की उनकी रानी थी। उस कमला रानी के साथ विषयसुख का अनुभव करते हुए तथा पूर्वभव के पुण्यरूपी वृक्ष से समर्पित राज्य का पालन करते हुए राजा का उस रानी से मैं पुत्र उत्पन्न हुआ। और विधिपूर्वक मेरा नाम सुप्रतिष्ठ रक्खा गया, पाँच धाइयों से पालन किया जाता हुआ, क्रमशः बढ़ता हुआ और माता-पिता को आनंद देता हुआ मैं पाँच वर्ष का हुआ। इसी बीच भूमंडल को संतप्त करनेवाली ग्रीष्म ऋतु व्यतीत हो गई, भूमंडल शीतल हो गया और मेंढ़क चारों ओर बोलने लगे. वेग से बहती हुई नदियों के कलकल शब्दों से दिशाएँ बहरी हो गईं और गरजते हुए घने बादलों को देखकर मयूरो का समुदाय नाच रहा था। विकसित फूलों से शोभित कदंब के वृक्षों से सारा वनखंड बिराजित था और कुंद मोगरा आदि विविध फूलों से निकली सुगंध से वायु सुरभित हो गई थी। किनारे पर बैठे बालकों से, बनाए गए बालू के मंदिरों से रमणीय, जिसमें किसानों से जोते गए बैल पंक से लिप्त थे,