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लगी थीं, तभी मेरे मन में विकल्प उठा था कि आज अवश्य उस चंद्रमुखी का दर्शन होगा, यह सोचता हुआ मैं कदलीवन में गया। पैर धोकर एक स्थान पर बैठा, इतने में आपके शब्द को सुनकर सावधान हुआ । और सोचने लगा कि यह किसका शब्द है ? यह सोचकर ज्यों ही इस तरफ देखा कि आपको वृक्ष की शाखा में लटकता पाया । हाय ! कामदेव के समान सुंदर यह क्यों मरने जा रहा है ? यह सोचकर हाहा शब्द करता हुआ मैं आपके पास आ गया। चित्रवेग ! उसके बाद की बात तो आप जानते ही हैं, अतः आपने जो पूछा कि “आप क्यों अपनी प्रिया का स्थान भी नहीं जानते " उसका उत्तर दे दिया । अब आपसे कहता हूँ कि उत्तम कुल में जन्म लेकर आप एक स्त्री के कारण आत्महत्या नहीं करें । सुप्रतिष्ठ ! चित्रगति ने जब इस प्रकार कहा, तब मैंने कहा कि आज रात में ही उसका विवाह होनेवाला है, इसोलिए मैं अत्यंत व्याकुल हो रहा हूँ, तब चित्रगति ने कहा कि एक उपाय मेरे मन में आता है। वह यह है कि दक्षिण श्रेणी के विद्याधरों का यह कुलाचार है कि विवाह समय में कन्या अकेली कामदेव की पूजा के लिए काममंदिर में जाती है । अतः वह भी मदनपूजा के लिए काममंदिर में आएगी। हम दोनों पहले से ही वहाँ पर रहें, और जब वह अंदर आएगी, तब उसका वस्त्र वेष पहनकर मैं बाहर निकलकर वर के पास चला जाऊँगा, और कनकमाला को लेकर आप पीछे निकलकर अपने इष्ट स्थान पर चले जाएँगे । ऐसा करने पर उसकी प्राप्ति होगी। भद्र !