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अन्यथा आपको कनकमाला नहीं मिलेगी । पुरुष को पुरुषार्थ अवश्य करना ही चाहिए । पुरुषार्थ करने पर भाग्य के अनुकूल कार्य की सिद्धि होती है । इस प्रकार जब उसने उपाय बतलाया तब भावी भय की चिंता किए विना सुप्रतिष्ठ ! रागांध होकर मैंने उसका वचन स्वीकार कर लिया !
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कनकमाला प्राप्त
नाम पंचम परिच्छेद समाप्त
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