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रह से विशुद्ध सत्य वचन वोलना, अदत्तादान का सर्वथा त्याग, नव गुप्ति सहित ब्रह्मचर्यव्रत का पालन, सर्वविध परिग्रह त्याग, रात्रि में चतुर्विध आहार त्याग, पाँच समिति तीन गुप्तियों का नित्य सेवन, बाईस परिग्रहों को जीतना, सूरि प्रमुख विशिष्ट साधुओं की सेवा, मनुष्य तिर्यक देवकृत उपसर्ग सहन करना, शब्दादि विषयों में राग द्वेष नहीं रखना, बेआलिस दोषों से रहित पिंड ग्रह करना, धर्म चिंतन, स्वाध्याय सेवन, सर्वविध विकथा त्याग, बाह्य तथा आभ्यंतर तप में उद्यम, आर्त रौद्र को छोड़कर धर्म ध्यान तथा शुक्ल ध्यान सेवन, अनित्यादि भावना का भावन, विनय सेवन, स्वच्छंदता का त्याग, दश प्रकार यतिधर्म का नित्य अनुष्ठान, मुनियों के संसर्ग में रहना, कुशील संसर्ग त्याग, पंचविध प्रमाद त्याग, अठारह शीलांगसहस्र का पालन करना, साधुओं के लिए नितांत आवश्यक है, राजन् ? इस प्रकार का यतिधर्म शीघ्र ही मोक्ष प्राप्त कराता है, पाँच अणुव्रता तीन गुणक्षा व्रत, चार शिक्षावत ये बारह श्रावक धर्म भी दीर्घकाल से मोक्ष को प्राप्त कराते हैं ? __इस प्रकार यतिधर्म तथा श्रावक धर्म का स्वरूप निरूपण के बाद अवसर पाकर राजा ने सूरि से पूछा कि जंगल में उत्पन्न होते ही कमलावती के पुत्र का अपहरण किसने किया? उसका पालन-पोषण कहाँ हुआ? हमें वह कब मिलेगा? कृपा कर सविस्तर बतलाइए, केवली ने कहा, राजन् ? मैं कहता हूँ, आप सुनिए-- ____ छातकीखंडद्वीप में पश्चिमार्द्ध भरतक्षेत्र में अमरकंटक नाम की एक प्राचीन नगरी है, उसमें अंबड़ नामक वणिक की स्त्री