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फल जाननेवालों से पूछकर विशेष बात बतलाऊँगा, आप चिंता न करें, प्रातःकाल सभा में आकर राजा ने स्वप्नफल बतलानेवालों को बुलाया । सामंत मंत्री आदि से भरी सभा में स्वप्नफल जाननेवाले राजा के पास बैठे, धनदेव भी राजा के पास बैठा, राजा ने उनसे देवदर्शन से लेकर स्वप्न दर्शन तक की बातें बतलाईं और कहा कि आप लोग अच्छी तरह निश्चय करके स्वप्न का फल बतलाइए, राजा के इस प्रकार कहने पर वे लोग स्वप्नफल का विचार करने लगे, तब धनदेव ने कहा, राजन ! आप स्वप्नफल जानने के लिए ध्यानपूर्वक इस वृत्तांत को सुनिए--
जंगल में मैंने भीलपति को देखा, उन्होंने सर्पो से बद्ध चित्रवेग को मणि के प्रभाव से बचाया । वे जब अपना चरित्र बतला रहे थे इतने में एक देव वहाँ आया, उस देव ने कुशाग्रनगर में केवली का दर्शन किया, भावी भव की बात पूछने पर केवली ने उससे कहा कि आप श्री अमरकेतु राजा के पुत्र होंगे, पूर्ववैरी देवमाता के साथ आपका अपहरण करेगा और आप चित्रवेग विद्याधर के घर में बढ़ेंगे, मैं मानता हूँ वही विद्युत्प्रभदेव देवी की कुक्षि में आ गया है, क्यों कि केवली का वचन कभी भी मिथ्या नहीं होता, पूर्व वैरी देवपुत्र का अपहरण करेगा, विद्याधर के घर में बढ़ेगा, अनेक विद्याओं का साधन करके फिर अपनी माता को प्राप्त करेगा, इष्ट कन्या का दान ही माला पूजन होगा, राजन् ? स्वप्न का परमार्थ यही मेरे मन में स्फुरित होता है, धनदेव की बात सुनकर स्वप्नफल जाननेवाले विद्वान चकित हो गए, धनदेव की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि राजन ! श्रेष्ठिपुत्र ने बड़ा संगत स्वप्नफल बतलाया है, राजाने ताम्बूल आदि कर आदरपूर्वक सबको बिदा किया, राजा ने फिर धनदेव से