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प इस फल को खाने से यह मूर्च्छित हो गई है। ऐसा त्रिशिवाय कारके अपने स्थान पर ले. किलों का बाकि किसान यह सोचा कि किसी विद्याधर की पुत्री है, किसी निर्वेद से इसके विफल खाया होगा भूमि मनुष्यों के लिए यह स्तिद्वीप अराममे है, अत: भूमिचर मनुष्य की पुत्री तो यह हो नहीं सकती। अनेक विद्याधात्रियों को देखा, कमी कहीं अनुरागी उत्पन्न नहीं हुआ Fइसको देखते ही अनुराग उत्पन्न हो रहा है, अतः यह मेरी भार्या होगी, यह सोचकर अपने अंक में उठाकर उसके अत्यंत कोमल शरीर के स्पर्श से विचित्र आनंदाका अनुभव करते हुए युगादिदेव मंदिर के पास अपने आवास स्थान पर उसे लाया। कहाँ माता की पुत्री बहन प्रियंवदा रहती थी, मैंने उससे कहा कि विद्या प्रदान के समय पिताजी ने जो दिव्य मणिखचित अंगूठी बीपी निर्मलजल सहित वह अंगूठी माओ क्यों कि विक दूर करने में वह लद्धा है अंगूठी लाने पर उसके जल से उसको सर्वप्रियंवद ने कहा कि यह तनेरी बहन ममती है। उससे कि तुमने इसको कब और कहाँ देखा या उसने कहा कि मेरी माता की छोटी बहन रत्नावती कुशापुरा में स्वान है। यह उसी है इसका नाम है सुरक्ष से पहले जब यह आरही थी तो कर कुशाग्रापुरा के ब्रोद्यान में उतर गई बीचवहीं इसको देखा था मैं विद्या कालीद भूलवाया था इसके स्मरण करके बसायी पिट आपके लिखित स्वरूप देखने से इसको उन्मादाय का अनुराग उत्पन्न हो गया था मेने कहा था किस्ताद है तुम्हारा भाव होगा, सुनकार वि गई थी कि इनका दर्शन भी तो दुर्लभ है और निःश्वास छोड़ने
संजा की सुंदरी