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कहा, भद्र ? क्या तकलीफ है ? मैंने अपना गला दिखलाया । संवाहन से उसने गला भी ठीक कर दिया । पीड़ा शांत होने पर स्वस्थ होकर मैं पल्लव रचित शय्या पर बैठा और लंबी साँस लेकर फिर उसी के विषय में चिंतन करने लगा।
पाशविमोचन नाम चतुर्थ परिच्छेद समाप्त ।
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