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पंचमं परिच्छेद
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उसके बाद आंसू बहाते हुए कैरेंतल पर केपीन रेवेति । मुख मुझको देखकर उसने कहा, सुंदर ! आप जैसे उत्तम पुरुषों : के लिए आत्मवध करना उचित नहीं, यह काम तो पामरों का है और कुगति देनेवाला है । दूसरे, आप कौन हैं ? क्यों आपने ऐसा करना चाहा था ? आप क्यों दुःखी हैं ? और क्यों इतने आँसू बहाते हैं ? लंबी साँस लेकर मैंने कहा, सुंदर ? इस विफल बात को कहने से क्या ? जिस बात को कहने से कोई लाभ हो तो उसे कहना चाहिए अन्यथा तुष-खंडन जैसी बेकार बात बोलने से क्या लाभ ? कार्य नष्ट हो जाने के बाद उसके विषय में कुछ कहना पानी वह जाने के बाद बंधा - बाँधना जैसा है, मैं तो असह्य दुःख से मुक्त होने के लिए आत्मवध करने के लिए तैयार था । आपने मुझे क्यों रोक दिया ? इसलिए अब फिर आप विघ्न न दें, तब उसने कहा, भद्र ? आप ऐसा मत करें, आप इसका कारण बतलाइए जिससे कि उसके लिए कुछ उपाय किया जाए, तब मैंने शुरू से लेकर फांसी लगाने तक की बात मैंने उससे बतलाई, उसको सुनकर सुप्रतिष्ठ ! उसने मुझ से कहा कि एक युवती के लिए आप जैसे नीति- कुशल उत्तम करना चाहिए क्यों कि जीते हुए मनुष्य अनुभव करते हैं ।
पुरुष को ऐसा नहीं कल्याण परंपरा का