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अर्थ - राजाकी रानी है इस कारणसे सुकुमार शरीरवाली है और पुत्रको गोदीमें उठाके चलना होवे है तथा रात्रि अंधारी है और पगोंसे चलना है रथादिक सवारीके अभावसे इतनी आपदा एक वक्तमें पाई ही ही यह खेदकी बात है विधिका विलास अतिविषम है ॥ २९७ ॥
| पिय मरणं रज्ज सिरी, नासो एगागिणित्तमरितासो । रयणीवि विहायंती, हा संपइ कत्थ वच्चिस्सं ॥२९८॥
अर्थ — मार्ग में चलती भई कमलप्रभा विचार करे भर्तारका मरण राज्यलक्ष्मीका नाश एकाकिनीपना और वैरीका त्रास रात्रि जाती भई अर्थात् प्रभात होता भया दिखता है हा इति खेदे अब कहां जाऊं ॥ २९८ ॥ इच्चाइ चिंतयंती, जा वञ्चइ अग्गओ पभायंमि । ता फिट्टाए मिलियं, कुट्टियनरपेडयं एगं ॥ २९९ ॥
अर्थ — इत्यादि विचारती भई जितनें आगे चलती है उतने प्रभात समयमें एक कोढ़ी मनुष्योंका पेड़ा यानें समूह बिना विचाराही मिला अर्थात् अकस्मात् मिला ॥ २९९ ॥
तं दट्टणं कमला, निरुवमरूवा महग्घआहरणा । अबला वालिक्कसुया, भयकंपिर तणुलया रुयइ ॥ ३००॥
अर्थ-उन कुष्टी मनुष्योंके समुदायको देखके भयसे कांपती भई कमलप्रभा रोती भई कैसी है कमलप्रभा निरुपम अद्भुत है रूप जिसका और बहुत कीमतके आभरण हैं जिसके पासमें, और स्त्री होनेसे अबला है और बालक एक पुत्र है जिसके ऐसी ॥ ३०० ॥
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