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अर्थ-तब पहले धवलसेठके सुभटोंने महाकाल राजाके सुभटोंका बल नाम सैन्यको भगाया तदनंतर महाकाल राजा बलवान घोड़े पर सवार होके आपसंग्रामके वास्ते आया ॥ ४३७ ॥
नटुं धवलभडेहिं, ववरवइतेयमसहमाणेहिं । पयचारी जुज्झतो, धवलो पुण पाडिओ बद्धो ॥ ४३८ ॥
अर्थ - तब वरपति वघरकूलका स्वामी राजाकातेज नहीं सहते हुए धवलके सुभट दशदिशमें भागे बाद प्यादल युद्ध करता हुआ धवलसेठको पृथ्वीपर गिराके बांधा ॥ ४३८ ॥
तं बंधिऊण रुक्खे, राया सुहडे निओइऊण निए। सत्थस्स रक्खणत्थं, सयं च चलिओ पुराभिमुहं ४३९
अर्थ - राजा महाकाल उसधवल सेठको वृक्षमें बंधवाके सार्थकी रक्षाकेलिए अपने सुभटोंको वहां रखके आप अपने नगरके सामने चला ॥ ४३९ ॥
इत्थंतरंमि कुमरो, धवलं बुल्लावए कहसु इन्हि । ते सुहडा कत्थगया, जेसिं दिन्ना तए कोडी ॥४४०॥
अर्थ — इस अवसर में श्रीपालकुमर धवलसेठसे बोला अहो धवल तुमकहो इसवक्त तुम्हारे सुभट कहां गए जिन्होंको तुम करोड़ सोनयिय्या देते थे । ४४० ॥
धवलो भणेइ भो भो, खयंमि किं कुणसि खारपक्खेवं । किं वा दट्टाणुवरिं, फोडयदाणक्कियं कुणसि ४४१ |
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