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श्रीपाल - चरितम्
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अर्थ - इस कारण करके मानके मिससे पासमें बुलाया और अच्छी तरहसे पहिचाना हे स्वामिन् यह मेरा भाई बहुत गुणवान् हैं प्रशस्त लक्षणों करके युक्त है हे महाराज हम तो डोम हैं हमको कोई मान देवे तो हम क्या बडे हो जावें डोम तो डोमही रहे परंतु इसको पहिचाननेके लिए यह प्रपंच किया सो क्षमा करें ॥ ७१८ ॥ राया चिंतेइ मणे, ही ही विद्यालियं कुलं मज्झ । एएणं पावेणं, तो एसो झत्ति हंतो ॥ ७१९ ॥
अर्थ - यह डोमका बचन सुनके राजा मनमें विचारे हीही इति खेदे इस पापी दुष्टने मेरे कुलको बिटाल दिया दोष सहित किया इस कारण से यह पापीकों शीघ्र मारना योग्य है । ७१९ ॥
| नेमित्तिओ य बंधाविऊण, आणाविओ नरवरेणं । भणिओ रे दुट्ठ इमो, मायंगो कीस नो कहिओ ७२०
अर्थ - और नेमित्तिएको राजाने बंधवाके बुलवाया और कहा अरे दुष्ट यह मातंग डोम कैसे नहीं कहा ॥ ७२० ॥ | नेमित्तिओवि पभणइ, नरवर एसो न होइ मायंगो। किंतु महामायंगा, - हिवई होही न संदेहो ७२१ अर्थ - नेमित्तियाभी बोला हे महाराज यह मातंग चांडाल नहीं है किंतु महामातंग नाम महागजों का अधिपति स्वामी होगा इस अर्थ में संदेह नही है | ७२१ ॥ गाढयरं रुट्टेणं, रन्ना नेमित्तिओ कुमारो य । हणणत्थं आइट्ठा, निययाणं जाव सुहडाणं ॥ ७२२ ॥
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भाषाटीका सहितम्.
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