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ऐसे तुम हो तो अपने भाग्यपर कैसे नाराज नहीं होतेहो जिस दुर्भाग्यने तुमको दूषित किया मेरेपर नाराज क्यों होते हो । ८३४ ॥
इन्हि पुण तुम्हाणं, परित्थिअहिलासविहियपावाणं। सोहणखमं इमं मे, असिधारा तित्थमेवत्थि ॥ ८३५॥
अर्थ - इस वक्तमें परस्त्रीकी अभिलाषासे किया हैं पाप जिन्होंने ऐसे तुमहो तुझारे पापकी शुद्धि करने में समर्थ यह मेरे खड्गकी धारा रूप तीर्थही हैं ॥। ८३५ ॥
इय भणिऊणं तेसिं, खुज्जेणं दंसिया तहा हत्था । जह ते भीइविहत्था, सवेवि दिसोदिसिं नट्ठा ॥ ८३६॥
अर्थ - ऐसा कहके कूबड़ेने उन राजाओंको वैसा हाथ दिखाया कि वह तव राजा भयसे व्याकुल भए दिशो दिश
भाग गए । ८३६ ॥
खुज्जेण तेण तह कहवि, दंसिओ विकमो रणे तत्थ । जह रंजियचित्तेहिं, सरेहिं मुक्का कुसमवुट्ठी ॥८३७॥
अर्थ - उस कूबडेने वहां संग्राममें उस प्रकारसे ऐसा पराक्रम दिखाया कि जिससे प्रसन्नभया मनजिन्होंका ऐसे | देवोंने कूबड़ेपर पुष्पों का वर्सात् किया ॥ ८३७ ॥
तं दहूणं सिरिवज्जसेण, -रायावि रंजिओ भणइ । जह पयडियं बलं तह, रूवं पयडेसु वच्छ नियं ॥ ८३८॥
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