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SAIRAAMALA
तत्तो मंती पभणइ, अहो पहो ते वओहिया बुद्धी। गंभीरया समुद्दाहिया, महीओऽहिया खंती॥९९७॥ का अर्थ तदनंतर मंत्री कहे अहो इति आश्चर्ये हे प्रभो आपकी बुद्धि उमरसे अधिक वर्ते है आपकी गंभीरता समुद्रसे
अधिक है और आपकी क्षमा पृथ्वीसेभी अधिक है ॥ ९९७॥ तापेसिजउ एसो, चउरमुहो नाम दियवरो दूओ।जो दूयगुणसमेओ अत्थि जए इत्थ विक्खाओ॥९९८॥ | अर्थ-तिस कारणसे यह चतुर्मुख नामक द्विज ब्राह्मणोंमें श्रेष्ठ दूत भेजो जो चतुर्मुख दूतके गुण वाचाल वगैरहसे है युक्त हे और जगतमें प्रसिद्ध है ।। ९९८ ॥ सो ओयतेयमइबलकलिओ, सम्माणिऊण भूवइणा। संपेसिओ तुरंतो, पत्तो चंपाइ नयरीए ॥९९९॥ | अर्थ-ओज मानसबल तेज शरीरकाप्रताप मति बुद्धिबल पराक्रम इन्हों करके युक्त ऐसा वह दूतका श्रीपाल, महाराजाने सत्कार करके भेजा वह दूत शीघ्र चलता हुआ चंपानगरी पहुंचा ॥ ९९९ ॥
तत्थाजियसेणनरेसरस्स, पुरओ पसन्नवयणेहिं । सो दूओ चउरमुहो, एवं भणिउं समाढत्तो ॥१०००॥5 है। अर्थ-वहां चंपानगरीमें वह चतुर्मुख दूत अजितसेन राजाके सामने प्रसन्नवचनोसें अर्थात् मधुरवचनोंसें इस
प्रकारसे कहना प्रारंभ किया ॥१०००॥ नरवर तए तया जो, सिरिपालो भायनंदणो बालो। भूवालपयपइट्ठो, दिट्ठो भूभार असमत्थो ॥१००१॥5
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