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SHREAKINARSA
अर्थ-अब इन्होंका अर्थ कहते हैं क्षमा नाम क्रोधका अभाव १ मार्दव मानका त्याग २ आर्जव सरलभाव ३ मुक्ति निर्लोभता दो प्रकारकी द्रव्यभावसे परिग्रह रहितपना निग्रंथता और निर्लोभता ४ ॥१०८७ ॥ तवो इच्छानिरोहो य, दया जीवाणपालणं । सच्चं वक्कमसावजं, सोयं निम्मलचित्तया ॥ १०८८ ॥ ___ अर्थ-इच्छाका रोकना तप कहा जावे ५ जीवोंका रक्षण दया ६ निर्दोषवचन बोलना सो सत्य कहा जावे ७ निर्मल चित्तपना शौच कहा जावे ८॥ १०८८ ॥ बंभमटारभेयस्स, मेहणस्स विवजणं । अंकिंचणं न मे कजं, केणावित्थित्तिऽणीहया ॥ १०८९ ॥
अर्थ-अठारह प्रकारके मैथुनका त्याग ब्रह्मचर्य कहा जावे वहां औदारिक वैक्रिय भेदसे दो प्रकारका मैथुन वह एक २ भी मन बचन कायासे करना कराना अनुमोदन भेदसे ९ प्रकारका होवे है दोनोंके मिलानेसे १८ भेद होवे
है ९॥ किसी वस्तुसे मेरे प्रयोजन नहीं है ऐसी निस्पृहता अकिंचन कहा जावे १०॥ १०८९ ॥ ६ एसो दसबिहुद्देसो, धम्मोकप्पडुमोवमो । जीवाणं पुण्णपुण्णाणं, सवसुक्खण दायगो ॥ १०९० ॥ | अर्थ-यह दश भेद जिसका ऐसा यह धर्म कल्पवृक्षके सदृश पूर्ण पुण्यजीवोंको सर्व सुखका देनेवाला है कल्पवृक्षभी है दश प्रकारका है इससे धर्मको कल्पवृक्षकी उपमा करी ॥ १०९०॥ धम्मो चिंतामणी रम्भो, चिंतियत्थाण दायगो।निम्मलो केवलालोय, लच्छिबिच्छिड्डिकारओ॥१०९१॥3
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