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ASSASGRACE
अर्थ-औरभी सुनिए श्रीपालराजाके चरणकमलोंकी सेवाके वास्ते औरभी बहुतसे राजा भक्तिके वास्ते आए हैं ॥ १००५॥ जं तुब्भे निययावि हु, नो पत्ता तस्स मिलणकज्जेवि। सोवि ह तक्विज्जइ दुजणेहिं, नणं कुलविरोहो॥ ____ अर्थ-जो आप श्रीपाल राजाके निजकेहों और मिलनेके वास्तेभी नहीं आए सो वहभी घरमें विरोध जैसा मालूम | द्र हुआ वह कुल विरोध निश्चय शत्रु बांछते हैं ॥ १००६ ॥
जो पुण कुले विरोहो, सो रिउगेहेसु कप्परुक्खसमो। तेण न जुज्जइ तुम्हं, परुप्परं मच्छरो कोवि॥१००७॥ ___ अर्थ-और जो कुलमें विरोध है वह शत्रुवोंके घरमें कल्पवृक्षके सरीखा होवे है याने कुलमें विरोध होनेसे शत्रुवोंका मनोरथ फले है ॥ १००७॥ सोवि हु किज्जउ जइ,किर नजइ अहमम्हि इत्थ सुसमत्थो। कत्थ तुमं खज्जोओ, कत्थ यसोचंडमत्तंडो॥ __ अर्थ-वह विरोधभी करो जो निश्चय मैं इस विरोधमें अतिशय समर्थ हूं ऐसा जाना जावे तब तो करनाही वाजवी है परन्तु कहां तुम खद्योत (आगिए )के जैसा और कहां श्रीपाल प्रचंड सूर्यके सदृश आप दोनोंके खद्योत और सूर्य के जैसा बहुत अंतर है ॥ १००८॥ कत्थ तुमं सरसरसव,-ससय समाणोसि देव हीणबलो। कत्थ य सो रयणायर, मेरुमयदेहिं सारित्थो॥
-CASSADCAS
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