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RECERICAUSHREE
अर्थ-तदनंतर अत्यन्त क्रोधातुर हुए राजाने नेमित्तिया और कुमरको मारने के लिए अपने सुभटोंको आज्ञा दिया ॥७२२॥ तामयणमंजरीवि हु, सुणिऊण समागया तहिं ज्झत्ति । पभणेइ ताय किमियं, अवियारियकजकरणंति॥ है। अर्थ-उतने मदनमंजरी राजकन्याभी यह वार्ता सुनके शीघ्र राजाके पासमें आई आके कहनेलगी पिताजी यह बिना विचारा कार्य क्या करते हैं ॥ ७२३ ॥
आयारेणवि नज्झइ, कुलंति लोएवि गिज्जए ताय । लोओत्तरआयारो, किं एसो होइ मायंगो ॥७२४॥ __ अर्थ-और क्या कहे सो कहते हैं हे तात आचारसें भी कुलजाना जावे है ऐसा लोकमें कहते हैं आचारः कुलमा-18 ख्याति इस बचनसे सबलोगोके उपरिवर्ति प्रधान आचार वर्ताव जिसका ऐसा यह कुमर क्या चंडाल होवे अपितु कदापि नहीं होवे ॥ ७२४ ॥
तो पुछइ नरनाहो, कुमरं भो नियकुलं पयासेसु । ईसि हसिऊण कुमरो, भणइ अहो तुज्झ च्छेयत्तं ७२५/४ ६. अर्थ-तदनंतर राजा कुमरको पूछे अहो कुमार अपना कुल कहो तब कुमर थोड़ा हंसके कहे अहो आप बहुत|8 |विचक्षण हैं जिस कारणसे पहले अपनी पुत्री देके पीछे कुल पूछते हैं ॥ ७२५ ॥ |अहवा नरवर! तुमए, एयं अक्खाणयं कयं सच्चं । पाऊण पाणियंकिर, पच्छा पुच्छिज्जए गेहं ॥७२६॥
ROCHASSOSASSARI
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