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(५०) श्री प्रज्ञापना सूत्र . (५१) श्री महाप्रज्ञापना सूत्र ( ५२ ) श्री प्रमादाप्रमाद सूत्र ५३ ) श्री नन्दीसूत्र (५४) श्री अनुयोगद्वार सूत्र ( ५५ ) श्री देवीन्द्रस्तुति सूत्र ( ५६ ) श्री तंदुलब्याली सूत्र (५७) श्री चन्द्रविजय सूत्र ( ५८ ) श्री सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र ( ५९ / श्री पौरषी मंडल सूत्र ( ६० ) श्री मंडलप्रवेश सूत्र ( ६१ ) श्री विद्याचारण सूत्र ( ६२ ) श्री विगच्छओ सूत्र ( ६३ ) श्री गणिविजय सूत्र ( ६४ ) श्री ध्यानविभूति सूत्र ( ६५ श्री मरणविभूति सूत्र
६६ ) श्री आत्मविशुद्धि सूत्र ( ६७ ) श्री वीतराग सूत्र (६८) श्री संलेखना सूत्र
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(६९) श्री व्यवहार कल्पसूत्र ( ७० ) श्री चरणविधि सूत्रं (७१) श्रीआउर प्रत्याख्यान सू ( ७२ ) श्री महाप्रत्याख्यान सूत्र साथमें बारहाअंगो के नाम
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( ७३ ) श्री आचारांग सूत्र (७४) श्री सूत्र कृतांग सूत्र (७५) श्री स्थानायांग सूत्र (७६) श्री समवायांग सूत्र (७७) श्री भगवतीजी सूत्र ( ७८ ) श्री ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र (७९) श्रीउपासक दशांग सूत्र (८०) श्री अन्तगड दशांग सूत्र (८१) श्री अनुत्तरोपपातिक सू ( ८२ ) श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र ( ८३ ) श्री विपाक सूत्र ( ८४ ) श्री दृष्टिबाद सूत्र एवं ८४ आगमोंके नाम
इन ८४ आगमों के अन्दर जो बारहा अंग है उनके अन्दर कीसकीस वार्ताका विवरण कीया गया है वह संक्षितसे यहां बतला देते है । यथा:
१ आचारंग सूत्रमें -- साधुका आचार है सो भ्रमण निग्रस्थों को सुप्रशस्त आचार, गोचर भिक्षा लेने की विधि, बिनय defen, कासर्गादि स्थान, विहार मूम्यादिकमे गमन, चक्रमण (भ्रम दूर करनेके लिये उपाश्रयमें जाना ), वा आहारादिक पदार्थोंका माप, स्वाध्यायमें नियोग, भाषादि समिति, गुप्ति,