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पंपादि चार दिशी, और उर्व अधो दिशी अपेक्षा कुडजुम्मा है शेष तीन मांगा नहीं।
प्रदेशापेक्षा अलोकाकाशके श्रेणीकी पृच्छा, गौतम! स्यात् खजुम्मा यावत् स्यात् कलयुगा है, एवं छे दिशी परन्तु उंची गीची विशीमें कलयुगा वर्जके शेष ३ भांगा कहना ।
श्रेणी: सात प्रकारकी है ( १ ) ऋजु ( सीधी ), (२) एक का, (३) दो बंका, (४) एक खूणावाली, (५) दो खूणावाली, (६) चकवाल, (७ ) अर्ध चक्रवाल ( स्थापना )। - AML L 0
हे भगवान् ! जीव अनुश्रेणी ( सम) गति करे या विश्रेणी (विषम ) १ गौतम! अनुश्रेणी गती करे परंतु विश्रेणी गति नहीं करे इसी तरामारकादि २४ दंडकोंके जीव समझ लेना, एवं परमाणु पुदगल भी अनुश्रेणी करे, विश्रेणी नहीं करे, बिप्रदेभी यावत् अनन्त प्रदेशी भी अनुश्रेणी करे विश्रेणी न करे।इति ।
॥ सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् ॥
थोकडा नं. ८८
[श्री भगवती सुत्र श० २५-उ० ४ ]
(द्रव्य) ... द्रव्य छे प्रकारके -धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, भाकाशास्तिकाय, जीवास्तिकाय, पुद्गलास्तिकाय और काल ।