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(८) सभाओ, कमेटीओ, मिर्टीगो पब्लिक भाषणोद्वारा जमानेकी खबर जनताको दी गइ थी रेसम या बिदेशी, हिंसामय, पदार्थोंका त्याग भी कितनेही भाई बहिनोने किया था और समाजमें जागृतिभी अच्छी हुइ थी और श्री वीरजयन्ति श्री रत्नप्रभसूरी जयन्ति. दादाजीकी जयन्ति के समय पब्लिक सभावों द्वारा जैनधर्मकी महत्वता पर बडेही जोशीले भाषण हुवे थे.
(९) पुस्तकोंका प्रचारभी हमारा ग्राम और समय के मुकाबले कुच्छ कम नहीं हुवा, निम्न लिखित पुस्तके हमारे यहांसे प्रकाशित हुई है.
१००० श्री स्तवन संग्रह भाग चोथा. १००० श्री भावप्रकरण सावचूरी. ५००० श्री द्रव्यानुयोग द्वितीय प्रवेशिका. ५००० श्री शीघ्रबोध भाग १-२-३-४-५ पांचो भागकि
हजार हजार नकल एकही कपडेकि जिल्दमे बन्धाइगइ है. १००० श्री गुणानुराग कूलक भाषान्तर. १००० श्री महासती सुरसुन्दरी रसीक कथा. १००० श्री मुनि नाममाला जिस्मे ७५० मुनीयोंको वन्दन. ५००० श्री पंचप्रतिक्रमण सूत्र विधि सहित. ( कूल २००००) ( १० ) पुस्तके छपानेमें मदद भी अच्छी मिलीथी. १०००) श्री भगवतीसूत्र प्रारंभमे पूजाका. २००) श्री भगवती सूत्र समाप्त मे पूजाका.