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प्रभावनाभी हुइथी (२) श्रावण वद ३ को फलोदीसे श्री संघझाबक गुलेच्छा कोचर वेद लोंकड ललवाणी लोढा लुणावत लुणीया छाजेड चोपडा मालु वोरा मीनी बुबकीया वरडीया छलाणी सराफ कानुंगा मडीया नेमाणी भन्साली कोठारी डाकलीया सेठीया नावटा नाहार कवाड चोरडीया संखलेचा वछाक्त पारख ढढा आदि करीबन २५०
आदमी और बाइयां मुनिश्री के दर्शनार्थी पाये थे उन फलोदीवालोकी तरफसे दोनों वासोके जैनोंको स्वामीवात्सल्य दिया गया था तथा शाहा धनराजजी आशकरणजी गुलेच्छाकी तर्फसे पूजा भणाइ गइ थी ओर चांदीकी ध्वजा और खोपरे रू १०१) के श्रीमन्दिरजीमें चढाये गये थे प्रभावना भी दी गइथी ( ३) श्री जैन नवयुवक मित्र मण्डलकी तरफसे स्वामिवात्सल्य फलोदीवालोंको दिया गया था ( ४ ) शाह शेरचंदजी पारखकी तरफसे ( ५ ) शाहा अगरचंदजी पारखकी तरफसे ( ६ ) श्री भगवतीजी समाप्त पर फलोदीवाले करीबन २५० आदमी और औरतों माइ थी जिसको शाह छोगमलजी कोचरकी तरफसे स्वामिवात्सल्य दिया गया था इस सुअवसरपर फलोदीवाले मुत्ताजी सीवदानमलजीकी तरफसे नालीयरों की प्रभावना हुईथी वेद ढंढोकी तरफसे तथा झाबकोंकी तरफसे तथा कोचगेकी तरफसे एवं च्यार प्रभावनाओ भी वडी उदारतासे हुइथी. अन्तमे जेठ वढ़ ७ को मुनिश्रीके विहार समय करीबन २५-३० भाइयों पली तक पहुचाने को गये वहां पलीमे शाह छोगमलजी कोचर की तरफसे स्वामिवात्सल्य हुवा था पली के न्यातिभाइयों को भी आमन्त्रण किया था यानि, धर्म की अच्छी उन्नति हुई ।
( १३ ) भगवान कि भक्तिके लिये वरघोडे भी वडी धामधूमसे