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. (७) आपनी के विराजने से जिन भागमों का नाम तक हम नही जानते थे और उन आगमो का श्रवण करना तो हमारे लिये मरूस्थल में कल्पवृक्ष की माफिक मुश्किल था परन्तु आपश्री की कृपा से निम्न लिखित आगमों की वाचना हमारे यहां हुई थी।
१ श्रीमद् भगवतीजी सूत्र शतक ४१-१३८ ५ श्री निरियावलीकाजी सूत्र अध्ययन ५२ १ श्री दशवैकालिकजी सूत्र अध्ययन १० . १ श्री प्राचारांगजी सूत्र अध्ययन २५ १ श्री उतराध्ययनजी सूत्र अध्ययन ३६ १ श्री जम्बुद्विपपन्नति सूत्र. १ श्री पन्नवणाजी सूत्र पद ३६ १ श्री उपासकदशांग सूत्र अध्ययन १० कूल १२ सूत्र और ८ प्रकरण की वाचना हुई ।
आपश्रीकी व्याख्यान शैली-स्याद्वादमय और युक्ति दृष्टान्तादिसे समजानेकी शक्ति इतनी प्रबलथी कि सामान्य बुद्धिवाले के भी समजमे
आ जावे. आपके व्याख्यानमें जैनोंके सिवाय स्थानकवासी भाई तथा सरकारी कर्मचारी वर्ग स्टेशन बाबुजी, पोष्ट बाबुजी, मास्टरजी पुलीस थाणदारजी आदि भी पाया करते थे हमारे ग्राममे साधु साध्वियों सदेव आया करती है चतुर्मास भी हुवा करते है किन्तु इतने आगम इस खुलासाके साथ आपश्रीके मुखाविदसे ही सुने है ।