Book Title: Shighra Bodh Part 06 To 10
Author(s): Gyansundar
Publisher: Veer Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 300
________________ फागण वद २ के रोज फलोदी से प्रापश्री का पधारणा लोहावट हुवा श्री संघ की तरफ से नगर प्रेवश का महोत्सव वाजा गाजा के साथ कर वडी खुशी और आनन्द मनाया गया था। (२) श्री संघ के अत्याग्रह से चैत वद ६ के गेज व्याख्यान में श्री भगवतीसूत्र प्रारंभ हुवा जिसका वरघोडा रात्री जागरण स्वामी वात्सल्य शाह रतनचंदजी छोगमलजी पारख की तर्फ से हुवा श्री संघ की तरफ से ज्ञानपूजा की गई थी जिसमें अठारा सुवर्ण मुद्रिकायें मिला के रु १०००) की आमदनी हुइ इस सुअवसर पर फलोदी से श्रावक समुदाय तथा श्री जैन नवयुवक प्रेम मण्डल के सेक्रेटंग-मेम्बरादिने पधार कर वरघोडादि में भक्तिका अच्छा लाभ लिया था । (३) जीवदयामें रस-अज्ञान के प्रभाव से हमारे ग्राम में अति घृणित रूढी थी कि तलाव में मास दोय मास का पाणी शेष रह जाता तब ग्रामवाले उस पाणी को अपने घरों मे भरती कर लेते थे जिससे अनेक जलचर जानवरों की हानि होती थी वह आपश्री के उपदेश द्वारा बन्ध हो गया, स्यात् पाणी रखे तो सात दिनों से ज्यादा भरती न करें . हमारे लिये यह महान् उपकार हुवा है । ( ४ ) महान् प्रभावीक सूत्र श्री भावतीजी के वाचनासमयमें हमारे यहां भी सुखसागर ज्ञान प्रचारक सभा की स्थापना हुई जिसका खास उद्देश छोटे छोटे ट्रेक्ट द्वारा यानि सुखसागर के अमृतजल का बिन्दुवों

Loading...

Page Navigation
1 ... 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314