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नारकीसे निकल कर अनन्तर अन्त क्रिया करे या परंपर अन्त क्रिया करे ? गौ. अनन्तर और परम्पर अन्त क्रिया करे। एवं रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, पालूकाप्रभा, और पंकप्रभा, समझ लेना शेष धूमप्रभा, तमःप्रभा, और तमस्तमःप्रभा, अनन्तर अन्त क्रिया न करे किन्तु परम्पर अन्त क्रिया कर सके ! ____ असुरादि दशों देवता परंपर अनंतर दोनों अन्त करे । एवं पृथ्वी, पाणी, वनस्पति भी समझ लेना और तेउ पाउ, तीन विकलेन्द्रि अनंतर नहीं किन्तु परंपर अन्त क्रिया कर
सके।
तिर्यच पंचेन्द्रि मनुष्य, व्यंतर, ज्योतिषी और वैमानिक अनं० परं, दोनों करे। अगर जो नारकी अन्त क्रिया करे तो एक समय कितना करे इसका अधिकार सिझ्झणा द्वारमें सवि. स्तार लिखा है। देखो थोकडा नम्बर १२० ।
नारकी मरके नारकीमें उपजे ? गौः नहीं उपजे एवं २२ दंडक नारकी में नहीं उपजे । तीयेच पंचेन्द्रिमे कोई उपजे कोई नहीं उपजे । जो उपजे उसको केवली प्ररुपित धर्म सुनने कों मिले? कोईको मिले कोईको न मिले । जिसको मिले वह समजे ? कोई समजे कोई नहीं समजे । जो समझे उसको मतिश्रुति ज्ञान मिले ? हां नियमा मिले। जिसको मतिश्रुति ज्ञान मिले वह व्रत नियम उपवाम पोसह पञ्चकखाणादि करे? कोई करे कोई न करे। नो व्रतादि करे उसको अवधिज्ञान होवे ? किसीको अवधिज्ञान उपजे किसीको नहीं उपजे। जिसको अवधिज्ञान उपजे यह दिक्षाले ? नहीं लेवे।
नारकी मनुष्य पने उपजे उसको व्याख्या अवधिज्ञान तक 'तीर्थचवत् करनी । आगे जिसको अवधिज्ञान हो वह दिक्षा ले ? कोई ले और कोई न भी ले। जो दीक्षा ले उसको मनः ,