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[८] वैक्रयद्वार - भाषि द्रव्यदेव वैक्रय करे तो १-२-३ उ० संख्याते रूप करे और असंख्याताकी शक्ति है एवं नरदेवधर्मदेव भी । देवादिदेवमें अनन्त शक्ति है परन्तु करे नहीं । भावदेव १-२-३ उ० सं० असंख्याते रूप करे ।
[8] अल्पाबहुत्वद्वार -- स्तोक ( १ ) नरदेव ( २ ) दे वादिदेव संख्यात गुणा ( ३ ) धर्मदेव संख्यात गुणा ( ४ ) भावि देव असंख्यात गुणा ( ५ ) भावदेव असंख्यात गुणा इति ।
॥ सेवते सेवते तमेव सच्चम् ॥
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इति श्री शीघ्रबोध भाग ६ वां समाप्तम्