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[वेदद्वार ५]
द्वार.
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श्री.
पुरुष. । नपुंसक.
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१पंचेन्द्रि १ त्रस
कषाय
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संयम दर्शन लेश्या भव्य सन्नी सम्यक्त्व ७
आहारिक २ | गुणस्थान १४
जीवभेद १४ पर्याप्ति ६
प्राण १९ संज्ञा ४ २० उपयोग २१ द्रष्टि २२ कर्म २३ | शरीर
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