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जो द्रव्यसे सप्रदेशी है वह क्षेत्रसे कालसे भावसे स्थात् सप्रदेश स्यात अप्रदेशी है। और क्षेत्रसे सप्रदेशी है वह द्रव्यसे नियम सप्रदेशी है। और कालसे भावसे स्यात सप्रदेशी स्यात् अप्रदेशी है। और कालसे सप्रदेशी है वह-द्रव्य क्षेत्र भावसे स्यात् सप्रदेशी स्यात् अप्रदेशी है । और भावसे सप्रदेशी है। वह द्रव्यसे क्षेत्रसे कालसे स्यात् सप्रदेशी स्यात अप्रदेशी है। .
( अल्पाबहुत्ष) (१) सबसे स्तोक भवसे अप्रदेशी द्रव्य (२) कालसे अप्रदेशी द्रव्य असं० गु० (३) द्रव्यसे अप्रदेशी द्रव्य असं० गु. (१) क्षेत्रले अप्रदेशी द्रव्य असं गु० (५) क्षेत्रसे सप्रदेशी द्रव्य असं० गु.. (६) द्रव्यसे सप्रदेशी द्रव्य वि० (७) कालसे सप्रदेशी द्रव्य वि. (८) भावसे सप्रदेशी द्रव्यवि.
सेवं भंते सेवं भंते तमेव सञ्चम् ।
-- -- थोकडा नं. ११५
श्री भगवती सूत्र श० ५ उ०८।
(हियमाण वढमाण) हे भगवान् ! जीव हियमान (न्यन होना ) है बदमाण (वृद्धि होना) है या अवस्थित है ? गौ० जीव हियमान नहीं है।