________________
१६६ तेउ० वायु० की आगती ४९ की-तीर्यच के ४६ मनुष्य ३ तथा गती ४६ कि तीर्यचके
विकलेन्द्रियकी आगती ४९ की पूर्ववत् तथा गती भी इसी तरह ४९ की।
तीर्यच पंचेन्द्रियकी आगती ८७ की-तीर्यच ४६ मनुष्य ३ भुवनपती १० व्यन्तर ८ ज्योतिषी ५ देवलोक ८ और नारकी ७ एवं ८७ तथा गती ९२ की-८७ पूर्ववत् संख्याते वर्षका कर्म भूमि असंख्याते वर्षका कर्मभूमि, अकर्मभूमि, अन्तरद्वीपा, स्थलचर युगलीया एवं १२ ।
मनुष्य की आगती ९६ की-तीर्यच ३८ ( तेउ० वायुका ८ बर्जके) मनुष्य ३ भूवनपती १० व्यंतर ८ ज्योतिषी ५ देवलोक १२ ग्रैवेक विमान ९ अनुत्तर विमान ५ नारकी ६ एवं ९६ तथा गती १११ की-९६ पूर्ववत तेउ० वाउ०८ सातमी नारकी, असं ख्याते वर्ष कर्मभूमि अकर्मभूमि अन्तर द्वीपा स्थलचर युगलीया, खेचर युगलीया और सिद्ध गती एवं १११
सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् ।