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काले वर्ण की व्याख्या के माफिक शेष वर्ण ५ गंध, २ रस, ५ स्पर्श आठ एवं २० बोलों की व्याख्या समझ लेना।
(६) ज्ञानपर्यःवापेक्षा प्रमाण.. हे भगवान् ! समुचय एक जीव मतिज्ञान की पर्यायापेक्षा क्या कुरजुम्मा है, यावत् कलयुगा है ? (गौतम) स्यात् कुड सुम्मा यावत् स्यात् कलयुगा है, एवं एकेन्द्रीय पर्ज के शेष १९ रंडकों समझ लेना। एकेन्द्रीय में मतिज्ञान नहीं है ओर इसी तरह घणा जीवोंपेक्षा समुचय और अलग २ की व्याख्या भी करदेनी, एवं श्रुतज्ञान भी समझना और अवधीज्ञान की व्याख्या भी इसी तरह करदेना परन्तु १९ दंडक की जगह १६ दंडक काना क्योंकि पांच स्थावर के सिवाय तीन विकलेन्द्री में भी अवधीज्ञान नहीं होता है और मनः पर्यव ज्ञान की भी व्याख्या भतिज्ञानयत् करनी परन्तु मनुष्य दंडक सिवाय अन्य दंडक में मनः पर्यव ज्ञान नहीं है, इस लिये एक ही दंडक कहना। केवल ज्ञान की पृच्छा ? ( गौतम) कुड जुम्मा पर्याय है शेष तीन बोल नहीं एवं घणा जीव समुचय और अलग २ की भी व्याख्या करदेनी। ___मति अज्ञान, श्रुत अज्ञान में २४ दंडक और विभंग ज्ञान मे १६ दंडक चक्षुदर्शन में १७ दंडक, अयक्षुदर्शन में २४ दंडक और अवधी दर्शन में १६ दंडक इन सबकी व्याख्या मतिज्ञानवत् समझनी, और केवल दर्शन केवलज्ञानकी माफिक यह थोकडा एवं दीर्घद्रष्टि से विचारने लायक है, धर्म ध्यान इसी को कहते
द्रव्यानुयोग में उपयोग की तिव्रता होने से कमों की बड़ी प्रारी निर्जरा होती है, इस लिये मोक्षाभिलाषियों को हमेशा इस पात की गवेषणा करनी चाहिये । इति ।
. सेवभते सेवभंते तमेव सचम् ।