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है एवं एकेन्द्री वर्ज के यावत् वैमानिक और सिद्धोंकी व्याख्या करनी और एकेन्द्रीय समुचय जीववत् कहना । (४) कालापेक्षा प्रमाण.
हे भगवान् ! समुचय एक जीव क्या कुडजुम्मा समय स्थिति वाला है यावत् कलयुगा समय की स्थिति वाला है ? ( गौतम ) कुडजुम्मा स्थितीवाला है, क्योंकि काल का समय कुडजुम्मा है और जीव सब काल में शाश्वता है।
एक नारकी के नेरिये की पृच्छा! (गौतम) स्यात् कुर जुम्मा यावन् कलयुगा समय की स्थिति का है एवं २४ दंडक और सिद्ध समुचय जीव की माफिक समझना।
घणा जीव की पृच्छा! ( गौतम ) समुचय और अलग २ कुडजुम्मा समय की स्थिति वाले है शेष बोल नहीं ।
घणा नारकी की पृच्छा! (गौतम) समुचय स्यात् कुर जुम्मा यावत् कलयुगा समय की स्थिति वाले है और अलग २ अपेक्षा कुडजुम्मा घणा यावत् घणा कलयुगा समय की स्थिति वाले है एवं २४ दंडकों और सिद्ध समुचयवत् । (५) भावापेक्षाप्रमाण,
हे भगवान् ! समुचय एक जीव काला गुण पर्यायापेक्षा क्या कुडजुम्मा यावत् कलयुगा है ? ( गौतम ) जीव, प्रदेशाश्रीय वर्णादि नहीं है, और शरीर प्रदेशापेक्षा स्यात् कुडजुम्मा यावत् स्यात् कलयुगा पर्याय वाला है, एवं २४ दंडकों और सिद्धों के शरीर नहीं।
समुचय घणा जीव की पृच्छा! (गौतम) जीवों के प्रदे. शोंपेक्षा वर्णादि नहीं है और शरीरापेक्षा स्यात् कुडजुम्मा यावत् कलयुगा पर्याय वाले है, एवं २४ दंडकों भा समझ लेना और