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थोकड़ा नं. ६३
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श्री भगवती सूत्र श० २५ उ० ४..
(परमाणु). हे भगवान् ! परमाणु पुद्गल क्या कम्पायमान है के अकम्प है ? गौतम ! स्यात् कम्पायमान है स्यात् अकम्प है एवं दो तीन यावत् दश प्रदेशी तथा संख्यात् असंख्यात् और अनन्त प्रदेशी भी समझ लेना।
घणा परमाणु पुद्गल की पृच्छा ? गौतम! कम्पायमान भी घणा और अकम्प भी घणा इसी तरह घणा दो तीन प्रदेशी यावत् घणा अनन्त प्रदेशी स्कन्ध भी समझ लेना।
एक परमाणु पुद्गल कम्पायमान रहे तो कितने काल तक और अकम्प रहे तो कितने काल तक रहे ! गौतम! कम्पायमान रहे तो जघन्य एक समय उत्कृष्ट आवलीका के असंख्यात में भाग और अकम्प रहे तो जघन्य एक समय उत्कृष्ट असंख्याता काल एवं दो, तीन यावत् अनन्त प्रदेशी समझ लेना।
घणा परमाणु पुद्गल कम्पायमान तथा अकम्प की पच्छा ? गौतम! सदा काल सास्वता एवं दो, तीन यावत् अनन्त प्रदेशी स्कन्ध समझ लेना।
एक परमाणु पुद्गल कापायमान तथा अकम्प का अन्तर पडे तो कितने काल का ? गौतम! कम्पायमान का स्वस्थाना. पेक्षा ज० एक समय उ. असंख्याता काल और परस्थानापेक्षा न. एक समय उ. असंख्यात काल और अकम्प का स्वस्थानापेक्षा ज. एक समय उ• आवलिका के असं० भाग और पर .