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'बोलो में जीवादि ६ पदके कितने २ बोल हैं वह इस थोकडे द्वारा नीचे लिखते हैं ।
समुचय लोक के पूर्व के चरमान्त में क्या (१) जीव, (२) नीवका देश, (३) जीवका प्रदेश, (४) अजीष, (५) अजीवका देश, (६) अजीवका प्रदेश है ? जीव नहीं है जीवका देश है, यावत् अजीवका प्रदेश है जीव का देश है तो क्या एकेन्द्रिय, बेन्द्रिय, तेन्द्रिय, चौन्द्रिय, पंचेन्द्रिय और अनेंन्द्रिय का देश है । (१) घणेन्द्रिय एकेन्द्रिय के घणे देश सूक्ष्म जीवापेक्षा सास्वते लाघे, (२) घणे एकेन्द्रिय के घणे देश और एक बेन्द्रिय के एक देश, (३) घणे एकेन्थि के घणे देश और एक बेन्द्रिय के घणे देश, (४) घणे एकेन्द्रिय के घणे देश और घणे बेन्द्रिय के घणे देश-एवम् aद्रय के ३ चौन्द्रिय के ३ पंचेन्द्रिय के ३ एवम् (१३) (१४) घणे एकेन्द्रिय के घणे देश और एक अनेंद्रिय के घणे देश (१५) घणे पर्केन्द्रिय के घणे देश और घणे अनेंद्रिय के घणे देश (१६) और प्रदेश की व्याख्या घणे एकेन्द्रिय के घणे प्रदेश (१७) घणे एकेंन्द्रिय के घणे प्रदेश एक बेन्द्रिय के धणे प्रदेश (१८) घणे एकेन्द्रिय के
प्रदेश और घणे बेन्द्रिय के घणे प्रदेश एवम् तेंन्द्रिय के २ चौरिन्द्रिय के २ पंचेन्द्रिय के २ अनेंन्द्रिय के २ एवम् २६ बोल जीवों के हुवे ।
अजीव दो प्रकार के हैं रूपी और अरूपी. जिसमें रूपी के ४ भेद (१) स्कंध (२) स्कंधदेश ( ३ ) स्कन्धप्रदेश (२) परमाणु और अरूपी के ६ भेद धर्मास्तिकाय नहीं है संपूर्णापेक्षा परंतु धर्मा स्तिकाय के देश, प्रदेश है एवं अधर्मास्ति के २ आकाश स्तिकाय के २ अरूपी के ६ और रूपी के ४ मिलके अजीष के १० भेद तथा नीव २६ सर्व मिलाकर पूर्व दिशा के चरमांत में ३६ बोल हुए. एवम्, दक्षिण पश्चिम और उत्तर दिशा भी समझना ।
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