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छोडके शेष ३१ बोल पावे तीर्यक् लोकमें नीचा लोक वत् ३२ बोल पावे लोंक के एक आकाश प्रदेश पर भी कहना। अलोकाकाश पर जीव आदि नही है केवल आकाश अनन्त अगुरु लघु पर्याय संयुक्त है। २।।
(२) द्रव्यलोक-नीचे लोक में अनन्ते जीव द्रव्य है अनन्ते अजीष द्रव्य है एवं ऊंचा लोक, तीर्थक् लोक और सर्व लोक अलोक में केवल अजीव वह भी आकाश अनन्त अगुरु लघु पर्याय संयुक्त है।
(३) काललोक-ऊंचा, नीचा, तीर्यक और सर्वलोक कोई कर्यो नहीं करे, नहीं, और करसी नहीं एवं तीनों काल में सदा सास्वत है एवं अलोक।
(४) भावलोक ऊंचो, नीचो, तीर्यक् लोक और सर्वलोक में अनंते वर्ण, गंध, रस स्पर्श और संस्थान का पर्याय है ॥ और अनन्ते गुरुलघु और अनन्ते अगुरुलघु पर्याय करके संयुक्त है और अलोक में केवल आकाश द्रव्य अगुरुलघु संयुक्त है। .. - इसका.जादा खुलासा देखना हो तो श्रीमान् विनयविजयजी महाराज कृत लोकप्रकाश देख लीजीये ॥
सेवभंते सेवंभंते तमेव सच्चम्.
थोकड़ा नं० १०१.
श्री भगवती सूत्र श० १६-उ०८. ... लोक-लोक के देश और लोक के प्रदेशों का अधिकार पहले बोकडोंमें आगे लिखा गया है अब लोक के चरमान्त का २१०