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१३३ थोकडा नं० १००
श्री भगवती सूत्र श० ११-उ० १०
(लोक) हे भगवान् ? लोक कितने प्रकारके है ? गौ० चार प्रकार के यथा-द्रव्यलोक, क्षेत्रलोक, काललोक और भावलोक निसमें पहिले क्षेत्रलोक की व्याख्या करते हैं, क्षेत्रलोक तीन प्रकारका है उर्वलोक, अधोलोक और तिर्यग लोक उर्वलोक मे १२ देवलोक ९ अवेक ५ अनुत्तर विमान और सिद्ध शिला, अधोलोकमे ७ नारकी और तिर्यग् लोक में जम्बूद्वीप, लवण समु. प्रादि असंख्याद्वीप समुद्र है । ____ अधोलोक तिपाई के संस्थान तोयंग लोक झालर के संस्थान, ऊर्ध्वलोक उभी मृदंगाकार ( संस्थान ) सर्व लोक तीन लावला, के अथवा जामा पहिरे हुवे पुरुष के संस्थान है
और अलौक पोला गोला ( नारियल ) के संस्थान है। ___अधोलोक क्षेत्रलोक में जीव है, जीव के देश है, जीवके प्रदेश है एवं अजीव, अजीप के देश, अजीव के प्रदेश हैं ? जीव है यावत् अजीव का प्रदेश है तो क्या एकेन्द्रिय यावत अनेन्द्रिय है ? हां एकेन्द्रिय, बेन्द्रिय, तेन्द्रिय, चौन्द्रिय, पंचेन्द्रिय और अनेन्द्रिय एवं ६ बोल और इन छे का देश और छे का प्रदेश सर्व १८ बाल हुवे ।। ___अजीव के दो मेद रुपी और अरुपी जिसमें रुपी के चार भेद पूर्ववत् और अरुपी के ७ भेद धर्मास्ति का देश, प्रदेश एवं अधर्मास्ति, आकाशाास्त का भी देश, प्रदेश और काल