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क्षुलक भव ( २५६ आवली) देश बंधका आहार करे और. १२ बोल के जीवों की उत्कृष्ट देश बंध की स्थिति नीचे प्रमाणे ।
समुचय जीव, मनुष्य, और तिर्यंच तीन पल्योपम एक समय म्यून समुचय एकेन्द्री, पृथ्वीकाय २२००० वर्ष एक समय यून, एवं अप्पकाय ७००० वर्ष, तेउ० तीन दिन, वायु ३००० वर्ष, वनस्पति १०००० वर्ष, बेरिन्द्री १२ वर्ष, तेरिन्द्री ४९ दिन, चोरिन्द्री ६ मास सब में एक समय न्यून समझना क्योंकि एक समय सर्व बंध का आहार ले।
औदारिक शरीर के सर्व बंध का अन्तर-समुचय औदारिक शरीर के सर्व बंध का अन्तरजा एक क्षुलक भव तीन समय न्यून कारण १ समय प्रथम भष में सर्व बंध का आहार किया
और दो समय की विग्रह गती की और उ० ३३ सागरोपम पूर्व क्रोड वर्ष में एक समय अधिक कारण कोइ जीव पूर्व कोडी का भव किया उसमें एक समय सर्व बंध का आहार लिया सो पूर्व कोड में न्यून हुवा वहां से सातवीं नरक बा सर्वार्थ सिद्ध विमान में ३३ सा. और वहां से २ समय की विग्रह गती करके उत्पन्न हुवा इस वास्ते । समय अधिक कहा शेष ११ बोलों का स्वकायाश्री सर्व बंध का अन्तर जः एक क्षुलक भव नीन समय न्यून और उ० अपनी २ स्थिति से एक समय अधिक समझना भावना पूर्ववत् ।
देश बंध का स्वकायाश्री अन्तर कहते हैं-समुचय जीव, समुचय एकेन्द्री, वायुकाय, तियंच पंचेन्द्री और मनुष्य इनमें जा एक समय उ० अन्तर मुहूर्त ( वैक्रियापेक्षा) शेष ७ बोलों मे ज. एक समय उ. ३ समय ।। .... देश बन्ध का परकायाश्री अन्तर--समुचय एकेन्द्री सर्व बंध अन्तर ज. २ क्षुलक भव तीन समय न्यून और देश बंध