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छोड के शेष ७ कर्मकी तेजस शरीरवत् और आयुष्य कि सबसे स्तोक देशबंध के और अबन्धके संख्यात गुणे ।
( परस्पर बन्ध अबन्ध) (१) औदारिक शरीर के सर्वबंध का बंदक है यहां वैक्रिय, आहारिक का अबन्धक है और तेजस कार्मण का देश बन्धक है इसी तरह औदारिक शरीर के देशबंध का भी कह देना। . (२) वैक्रिय शरीरका बंधक है यहां औदारिक, आहारिव शरीर का अबंधक है तेजस कार्मण का देशबंधक है इसी तर वैक्रिय का देशबंध का भी कहना। '
. (३) आहारिक शरीर का बंधक है वहां औदारिक वैक्रिय का अबंधक है और तेजस कार्मण का देशबंधक है एवं आहारिक शरीर के देश बंध का भी कहना।
(४) तेजस शरीर का देशबंधक है वहां औदारिक शरीर का बंधक भी है और अबंधक भी है यदि बंधक है तो देशबंधक भी है और सर्वबंध भी है एवं आहारिक वैक्रिय शरीर भी समा लेना कार्मण शरीर नियमा देशबंध है। (५) कार्मण शरीर की व्याख्या तेजसवत् करना । इति ।
(अल्पाबहुत्व ). (१) सबसे स्तोक आहारिक शरीर का सर्व बंधक । • (२) आहा शरीर का देश बंधक सं• गुः । . (३) वैक्रिय , सर्व , असं० गु० । (४) , , देश , ,
(५) तेजस कार्मण का अबंधका अन• गु० । .. (६) औदा० शरीर सर्वबंधक अनं• गु० ।