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अपेक्षा भी घणा कुडजुम्मा यावत् कलयुगा समय कि स्थिति का है इसी माफक दो, तीन यावत् अनन्त प्रदेशी स्कन्ध भी समझ लेना ।
( ४ ) भाषापेक्षा पृच्छा
हे भगवान् ! एक परमाणु पु० कालावर्ण की पर्यायाश्रीय क्या कुडलुम्मा प्रदेशी है यावत् कलयुगा प्रदेशी है ? ( गौतम ) स्यात् कुडजुम्मा यावत् कलयुगा प्रदेशी है एवं दो तीन यावत् अनन्त प्रदेशी भी समझ लेना, घणा परमाणु की पृच्छा ? ( गौतम ) समुचय स्यात् कुडजुम्मा यावत् कलयुगा प्रदेशी है, अलग २ की अपेक्षा घणा कुडजुम्मा यावत् कलयुगा प्रदेशी है एवं दो तीन यावत् अनन्त प्रदेशी की भी व्याख्या करनी, जैसे काले वर्ण का कहा इसी तरह शेष ४ वर्ण, २ गंध, ५ रस, ४ स्पर्श ( शीत, ऊष्ण, स्निग्ध, रूक्ष, ) एवं १६ बोल समझ लेना ।
एक अनन्त प्रदेशी स्कंध कर्कश स्पर्शाश्रीय क्या कुडजुम्मा प्रदेशी यावत् कलयुगा प्रदेशी है ? ( गौतम ) स्यात् कुड जुम्मा यावत् स्यात् कलयुगा प्रदेशी है एवं घणा अनन्त प्रदेशी स्कंध भी समुचयापेक्षा स्यात् चारों भांगा और अलग २ अपेक्षा भी चारों भांगा ( कुडजुम्मा भी घणा यावत् कलयुगा भी घणा कहना ) एवं मृदुल गुरु, लघु की भी व्याख्या करनी, ये चार स्पर्श वाले पुद्गल संख्यात, असंख्यात प्रदेशी नहीं होते किन्तु अनन्त प्रदेशी ही होते है क्योंकि ये चार स्पर्श बादर स्कंध में होते है जहां ये चार स्पर्श हैं वहां पूर्व कहे चार स्पर्श नियमा हैं, यह थोकडा दीर्घ दृष्टि से विचारने योग्य है ।
सेवंभंते सेवंभंते तमेव सच्चम् । -XCO3+