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यावत् अनन्त प्रदेशी स्कन्ध भी समझ लेना और घणा परमाणु, दो प्रदेशी, तीन प्रदेशी यावत् घणा अनन्त प्रदेशी स्कन्ध सर्व कम्प, देश कम्प और अकम्प सद्धिा याने सास्वता है।
एक परमाणु पु० के सर्वकम्प और अकम्पका अन्तर कितना है ? गौतम ! कम्पायमान स्वस्थानाश्रीय ज. एक समय उ० असं० काल एवं परस्थानाश्रीय भी समझना और अकप का स्वस्थानाश्रय जल एक समय उ. आवली का के असं० भाग और अन्यस्थानाश्रय ज. एक समय उ. असं काल भावना पूर्ववत् क्योंकि विप्रदेशादि स्कन्ध की स्थिति असंख्याता काल की है ।
द्वि प्रदेशी स्कन्ध देश कम्प, सर्व कम्प और अकम्प का भन्तर ज० तो सबका एक समय है और उत्कृष्ट देश कम्प और सर्व कम्प का स्वस्थानापेक्षा ज० एक समय उ० असं काल और परस्थान आश्री अनन्त काल क्योंकि वे दो प्रदेश अलग २ होकर दूसरे स्कन्धों में जा मिले तो उ० अनन्ता काल तक अलग रहकर फिर ही दो प्रदेश दो प्रदेशी स्कन्धपने मिले तो उ. अनन्त काल में मिले और अकम्प का अन्तर स्वस्थानापेक्षा उ० आवली का के असं भाग और पर स्थानापेक्षा अनन्त काल भावना पूर्ववत् एवं तीन, चार यावत् अनन्त प्रदेशी स्कन्ध को भी व्याख्या कर देनी।
घणा परमाणु पु. दो प्रदेशी स्कन्ध तीन प्रचार प्र यावत् अनन्त प्रदेशी स्कन्ध के देश कम्प, सर्वकम्प और अकम्प का अन्तर नहीं है कारण सर्व काल में तीनों प्रकार के पुद्गल सास्वते है।
(प्रत्येक अल्पाबहुत ). (१) सबसे स्तोक सर्व कम्पायमान परमाणु पुर। (२) अकम्प परमाणु पु. असं गुणा ।